राष्ट्र समर्पित एक योद्धा की तरह धर्म, देश, समाज व संस्कृति की रक्षा के लिए घर-परिवार एवं निजी-स्वार्थ को छोड़कर, तपस्या भरा जीवन व्यतीत करने को प्रेरित करने वाले महान व्यक्तित्व, हिन्दुत्व के पुरोधा और हम सबके प्रिय श्री अशोक सिंहल जी के कृतत्व को समेटने की परिकल्पना की परिणति यह ग्रंथ है। बाल्यकाल से लेकर आज तक लगभग 65 वर्ष के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में जीवन के तथ्यों व कार्यो का संकलन एक दुष्कर प्रयास अवश्य बना किन्तु अनेक वरिष्ठ-कनिष्ठ सहयोगियों ने इसे संभव बनाया। मुझे विश्वास है कि इस ग्रंथ के जीवंत 'अशोक जी' में निस्संदेह हम सब अपने राष्ट्रवादी विचारों को पुष्ट करते हुए उनके प्रत्यक्ष 'दर्शन' की अनुभूति कर पाएँगे।